सुनs हो बहिनी, सुनs हो भइया, अब जागे के बा, अब बोले के बा। हमनी हईं भोजपुरिया भाखी, राज हमार भोजपुर, राजधानी काशी!
धर्मेन्द्र कुमार
डॉ. अजय कुमार सिंह/राय (विधायक, बिहार विधानसभा) के सुपुत्र – एक प्रबुद्ध युवा समाजसेवी, प्रतिबद्ध राजनेता, आ पूर्व अंतरराष्ट्रीय ऑयल एंड गैस प्रोफेशनल।
धर्मेन्द्र कुमार जी के जीवन एगो प्रेरणास्पद यात्रा ह, जे आधुनिक वैश्विक पेशेवर दुनिया से शुरू होके अब अपन माटी, भाषा आ अस्मिता के सेवा में समर्पित हो चुकल बा। देश-विदेश में काम करे के बाद जब जब उ भारत लौटलें, त उनका भीतर ई भाव जगराइल – “दुनिया घूम के देखलें, लेकिन दिल के सुकून त बस अपने देश, अपने लोग आ अपनी भाषा में बा।”
गाजीपुर जिला के रेवतीपुर गाँव के निवासी धर्मेन्द्र , भोजपुरी भाषा के सम्मान और भोजपुर राज्य आंदोलन के कमजोर पड़ला से व्यथित बाड़न। उनका मन में ई दृढ़ विश्वास बा कि भोजपुरी खाली एगो भाषा ना, बलुक ई करोड़ों लोगन के अस्मिता, संस्कृति आ इतिहास के पहचान ह।
भोजपुरी भाषा के सम्मान आ संरक्षण खातिर उ खाली सांस्कृतिक स्तर पर ना, बलुक राजनीतिक स्तर पर भी ठोस पहल के जरूरत मानेलें। एही सोच के तहत धर्मेन्द्र कुमार अब भोजपुरिया जनता खातिर एक नए राज्य—"भोजपुर राज्य"—के गठन के आंदोलन के स्वरूप दे रहल बाड़न। उनका अनुसार जबले भोजपुरिया क्षेत्र के प्रशासनिक स्वायत्तता ना मिली, तबले भाषा आ जनता के असली विकास संभव नइखे।
धर्मेन्द्र जी के सब से बड़ा समर्पण ई बा कि ऊ अपने पिता जी के बनावल मजबूत राजनीतिक ज़मीन आ भविष्य के अवसर त्याग के, भोजपुरी भाषा आ क्षेत्र खातिर समर्पित हो गइल बाड़न। ऊ मानेलें कि सच्चा राजनीति उहे ह, जवन जनता के पहचान, संस्कृति आ अधिकार खातिर लड़ी।
आज धर्मेन्द्र कुमार भोजपुरिया आंदोलन के एगो नया चेतना, नया नेतृत्व, आ नया दिशा दे रहल बाड़न। उनकर सोच साफ बा—"बिना राजनीतिक पहचान, भाषा के सम्मान अधूरा बा।" एही सोच के साथ ऊ भोजपुर राज्य के गठन आ भोजपुरी भाषा के संविधानिक मान्यता खातिर तन-मन-धन से संघर्षरत बाड़न।
धर्मेन्द्र कुमार आज भोजपुरिया नवजागरण के एगो मजबूत स्तंभ हउवें—एक अइसन युवा, जे ना केवल सपना देखत बा, बलुक ओह सपना के साकार करे खातिर हर मोर्चा पर डटल बाड़न।


रंजीत कुमार सिंह
एक समर्पित भोजपुरिया सपूत, जे अपन भाषा, संस्कृति आ अस्मिता के खातिर हरदम तइयार रहेलन।
गुलौरा गाँव, जिला गोपालगंज (बिहार) से आवे वाला रंजीत कुमार सिंह आज रेलवे विभाग में कार्यरत बाड़न। रंजीत जी के परिवार एक सुसंस्कृत आ शिक्षित परिवार ह, जहाँ अधिकतर लोग सरकारी सेवा में कार्यरत बाड़ें। खुद रंजीत जी के पिताजी भी बिहार सरकार में अपनी सेवा दे चुकल बाड़ें। ई पारिवारिक पृष्ठभूमि रंजीत जी के अंदर कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन आ जनसेवा के भावना बचपन से ही भर देले बा।
हालांकि सरकारी सेवा में रहके ऊ देश के विकास में योगदान दे रहल बाड़न, बाकिर उनकर असली जुनून भोजपुरी भाषा के सम्मान आ ओकरा खातिर एक अलग पहचान दिलावे में बा। उ मानेलें कि भोजपुरी खाली बोलचाल के भाषा ना, बलुक ई करोड़ों लोगन के अस्मिता आ आत्मा ह।
रंजीत जी के सपना बा कि भोजपुरी भाषा के संविधान के आठवीं अनुसूची में जगह मिले, आ भोजपुरिया जनता के हक के आवाज बने खातिर एक अलग भोजपुर राज्य के गठन होखे। एह उद्देश्य से उ लगातार जनजागरूकता अभियान में लागल बाड़न, सोशल मीडिया आ मंचन के माध्यम से लोगन के जागरूक करत रहेलन।
रंजीत कुमार सिंह आज के नवजवानन खातिर एक प्रेरणा हउवें—एक ऐसा व्यक्तित्व जे पारिवारिक गरिमा, सरकारी सेवा आ मातृभाषा के सेवा के संग-संग निभावत बाड़न। उनकर समर्पण भोजपुरिया अस्मिता के उज्जवल भविष्य के ओर ले जात बा।

